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डीयू कॉलेजों के हिंदी माध्यम छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकें तैयार करेगा निदेशालय, शिक्षकों और सामग्री की सूची मांगी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी में मौलिक पाठ्य सामग्री तैयार करने और शिक्षकों की सूची देने के लिए कॉलेजों को निर्देश

 हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय , दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर मंजू मुकुल कांबले ने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालय एवं शिक्षण संस्थानों के प्राचार्य , निदेशक व  हिंदी विभाग के प्रभारियों को सर्कुलर जारी किया है जिसमें हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों के लिए हिंदी में पुस्तकें प्रकाशित करवाने की योजना है । अरबिंदो महाविद्यालय के मीडिया संयोजक व  हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय द्वारा हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों के लिए हिंदी में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने की योजना का स्वागत किया है और कहा है कि निदेशालय की इस पहल से शिक्षकों और छात्रों को एक जगह पाठ्यक्रम सामग्री /पुस्तकें मिलने से लाभ होगा ।

                    डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि निदेशालय द्वारा भेजे गए सर्कुलर में निदेशालय की ऐसी योजना है कि वह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप महाविद्यालय में कार्यरत अध्यापक जो हिंदी में मौलिक पाठ्य सामग्री तैयार करने अथवा अनुवाद करने के इच्छुक हैं उनकी सूची , मोबाइल नंबर एवं ई-मेल आदि एकत्रित कर रहा है ताकि  निदेशालय उन शिक्षकों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरुप पाठ्य सामग्री तैयार कर विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध करवा सके । उन्होंने बताया है कि तीन साल पहले लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को पाठ्यक्रम में लगी पुस्तकें उपलब्ध न होने से बहुत परेशानी हो रही है । छात्रों को अध्ययन करने के लिए एक जगह सम्पूर्ण पाठ्य सामग्री नहीं मिल रही है । नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लागू किए गए पाठ्यक्रम पर अधिकांश महाविद्यालयों की पुस्तकालयों में हिन्दी माध्यम में पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं। हिन्दी विशिष्ट के छात्रों की तो हिन्दी पाठ्यक्रम की पुस्तकें ही तैयार नहीं हुई हैं। जबकि इस साल से चौथे साल में प्रवेश कर सांतवें सेमेस्टर की पढ़ाई शुरु हो जाएगी । छात्रों की इन समस्याओं पर हिंदी माध्यम निदेशालय द्वारा उठाया गया यह कदम प्रशंसनीय है । 

              डॉ. हंसराज सुमन ने निदेशालय से मांग की है कि वह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप छात्रों के लिए पाठ्य सामग्री तैयार करने से पूर्व महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सभी प्रभारियों की एक बैठक 1 अगस्त से पूर्व अपने कार्यालय में रखी जाए और इन विषयों पर शिक्षकों से सुझाव मांगें जाए । साथ ही निदेशालय द्वारा एक कमेटी गठित की जाए जो महाविद्यालयों का दौरा करे व छात्रों से बातचीत करे । यदि  छात्रों से बातचीत करेंगे तो बताएंगे कि अधिकांश कॉलेजों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लगाए गए पाठ्यक्रम में अंग्रेजी की पुस्तकों के साथ-साथ हिंदी माध्यम की पुस्तकों का अभाव है।  हिंदी माध्यम में ज्यादातर वे छात्र है जो हिंदी भाषी राज्यों से हिंदी माध्यम स्कूलों से पढ़कर आए हैं। इन छात्रों के लिए हिंदी  माध्यम में अच्छी पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं। हिंदी में बेहतर पुस्तकों के अभाव में परीक्षा परिणाम पर भी असर पड़ता है । उन्होंने बताया है कि मानविकी ,वाणिज्य , इतिहास , राजनीति विज्ञान , अर्थशास्त्र , समाजशास्त्र , दर्शनशास्त्र , कानून व अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर हिंदी माध्यम में पुस्तकों का अभाव है । 

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